Saturday 18 June 2016

!! मेरा काव्य तेरे सम हो जाए !!

नित नेत्र मेरे तुझे याद करें,
या जीवन अंधतम  हो जाए.
तेरी छाया मुझपर प्रति छन हो,
या धरा अनल-सम हो जाए.

मैं चिर-विलीन का व्रत करलू, तू आत्म मे मेरी खो जाए,
मेरा मन अल्हड़ तुझे जोड़े रखे, मेरा काव्य तेरे सम हो जाए.

मैं प्रेम-रहित वंचित मनुस्य,
तेरी धारा में तर- भीग गया.
तेरी छाया की स्थिरता ने,
मेरी दरिद्रता को चीर दिया.

मैं दीन-हीन जीवन-रस से,  तेरी चाह मे तन-मन जल जाए,
मेरा मॅन अल्हड़ तुझे जोड़े रखे, मेरा काव्य तेरे सम हो जाए.


तूने प्रेम का कर व्यवहार मुझे,
मेरे अंतर्मन को जीत लिया,
मैं प्रीत में तेरी विह्वल हो,
सत्-जीवन  तुझपे बीत दिया.

अब जो करले मैं तेरा हू, तेरी राह मे प्राण निकल जाए,
मेरा मॅन अल्हड़ तुझे जोड़े रखे, मेरा काव्य तेरे सम हो जाए.


तूने प्रीत किया, मुझे जीत लिया,
हिय-ज्वालाग्नि को शीत दिया,
मेरी श्वास को अमर ज्वलन देकर,
मेरी भौतिकता को कृत्य किया.

मैं भाव-विहोर तेरे मॅन पे, मेरा जीवन तुझपर फल जाए.
मेरा मॅन अल्हड़ तुझे जोड़े रखे, मेरा काव्य तेरे सम हो जाए.


द्वारा-  अविलाष!
17/06/2016

7 comments:

  1. Really nice 'kaavya'..all the best!

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  2. meri laate or tere bum ho jaye
    jyada ganjha daru kam ho jaye
    sutte ko aag lage
    aur gala ye nam ho jaye
    laundey jaye bhad me
    ladkiya prasann ho jaye
    udakar tankhva teri
    khush mera man ho jaye
    agar esa kahin sam ho jaye
    to insha allah
    tera kavya mere sam ho jaye

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    1. Good work...keep it up....very impressive....and check ur roof some girls must be falling on u :)

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  3. ati uttam bhaijaan. we are an endangered species.

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  4. Very touching . Good luck.

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