आशा की सुबह जब निकलेगी
इस रात की बस अब देरी है
जीवन के क्षितिज़ पर नज़र मेरी
पावों में भले ही बेड़ी है।।
ये हार जीत की रात नहीं
ले अपनों को तूँ साथ सभी
न कर नासमझी रे मानव
खुद से लड़ना है व्यर्थ अभी
आशा की कहानी कहता मैं
उबरेगा समस संसार सही
जो आज भयावह बादल हैं
कल हो जायेंगे लुप्त कहीं
चिंता में चिता का वास समझ
जो व्यर्थ की कुण्ठा घेरी है
जीवन के क्षितिज़ पर नज़र मेरी
पावों में भले ही बेड़ी है।।
हिम्मत तेरे मैं द्वार चला
संयम से मेरा जो ताल मिला
यहाँ पाँव की गति का काम नही
मेरा स्वतंत्र व्यवहार चला
जो आज द्वार ज़ंजीर बंधी
उसमें मानव तेरा ही भला
छण भर की सुविधा लेने को
ना घोंट ढीठ औरों का गला
विचरण क्यों करें उन राहों में
जो तेरी भी और मेरी है
जीवन के क्षितिज़ पर नज़र मेरी
पावों में भले ही बेड़ी है।।
ये परिवर्तन की बेला है
जो सबने मिलकर झेला है
विपदा से कोई इंकार नहीं
बस तूने कैसे खेला है?
आतम-शक्ति आह्वान करो
धीरज तो धरो संज्ञान भरो
तुम मनुपुरुष के अंश भला
ना तुम न अभी हिम्मत को धरो
संघर्ष की शक्ति जगालो सब
ये शत्रु भयावह बैरी है
जीवन के क्षितिज़ पर नज़र मेरी
पावों में भले ही बेड़ी है।।
हर बेड़ी तोड़ा है मनु ने
इस बार शत्रु का धोखा है
ये कुरुक्षेत्र की घात नहीं
बस खुद को घर में रोका है
मायावी रिपु ने सबको ही
एक चक्रव्यूह में घेरा है
अभिमन्यु तूँ अब चाल बदल
तेरा सदन शत्रु का कोहरा है
शत्रु दमन को करने को
ये लुका-छिपी ही जरुरी है
ये कुरुक्षेत्र की घात नहीं
बस खुद को घर में रोका है
मायावी रिपु ने सबको ही
एक चक्रव्यूह में घेरा है
अभिमन्यु तूँ अब चाल बदल
तेरा सदन शत्रु का कोहरा है
शत्रु दमन को करने को
ये लुका-छिपी ही जरुरी है
जीवन के क्षितिज़ पर नज़र मेरी
पावों में भले ही बेड़ी है।।
।। Stay Home. Stay Alive ।।
द्वारा - अविलाष कुमार पाण्डेय
दिनाँक - २५.०३.२०२०
।। Stay Home. Stay Alive ।।
द्वारा - अविलाष कुमार पाण्डेय
दिनाँक - २५.०३.२०२०
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